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1 Feb 2023 · 1 min read

सरसी छंद

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सरसी छंद
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कोमल कलियाँ फूल बनें तो, उड़ता है मकरंद ।
ऐसे ही मन की डाली पर , महका करते छंद ।।
उर में अठखेली करते जब, लहरों जैसे भाव ।
कविता करती है किलोल तब, ज्यों नदिया में नाव !
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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