Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2023 · 1 min read

क्या फ़र्क था मेरे और उसके इश्क़ में जो मुझसे दूर उसके करीब हो गए ।

क्या फ़र्क था मेरे और उसके इश्क़ में
जो मुझसे दूर उसके करीब हो गए
उसकी दुनिया का तुम एक हिस्सा मगर
हम तुझमें अपनी दुनिया देखते हैं
उसकी याद में तुम रोये बहुत
हम तुम्हारी याद में रोते हैं
चाहत हज़ारों की उसको मगर
मेरी तो सिर्फ तुम हो
उसकी ख्वाहिशें कई
मेरी हर ख्वाहिश में तुम हो
फिर न जाने क्यों हम तेरे इश्क में गरीब हो गए
क्या फ़र्क था मेरे और उसके इश्क़ में
जो मुझसे दूर उसके करीब हो गए

1 Like · 163 Views

You may also like these posts

“मिजाज़-ए-ओश”
“मिजाज़-ए-ओश”
ओसमणी साहू 'ओश'
जिंदगी की राहों मे
जिंदगी की राहों मे
रुपेश कुमार
दोहा
दोहा
seema sharma
ऐसा घर चाहिए......
ऐसा घर चाहिए......
Jyoti Roshni
🙅अंध-भक्त🙅
🙅अंध-भक्त🙅
*प्रणय*
*तृण का जीवन*
*तृण का जीवन*
Shashank Mishra
दोस्ती
दोस्ती
Neha
परिसर
परिसर
पूर्वार्थ
कलाकार
कलाकार
Sakhi
चिड़ियाघर
चिड़ियाघर
विजय कुमार नामदेव
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ ...
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ ...
sushil sarna
सुरक्षित सभी को चलने दो
सुरक्षित सभी को चलने दो
Ghanshyam Poddar
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मुराद
मुराद
Mamta Singh Devaa
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
" लक्ष्य "
Dr. Kishan tandon kranti
प्रीतम  तोड़ी  प्रीतड़ी, कर  परदेसा  वास।
प्रीतम तोड़ी प्रीतड़ी, कर परदेसा वास।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
नींद आती है सोने दो
नींद आती है सोने दो
Kavita Chouhan
*मांसाहारी अर्थ है, बनना हिंसक क्रूर (कुंडलिया)*
*मांसाहारी अर्थ है, बनना हिंसक क्रूर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
रमेशराज के बालगीत
रमेशराज के बालगीत
कवि रमेशराज
मुझे इंसानों में जीने का कोई शौक नही,
मुझे इंसानों में जीने का कोई शौक नही,
Jitendra kumar
स्वयं से बात
स्वयं से बात
Rambali Mishra
नाता(रिश्ता)
नाता(रिश्ता)
पं अंजू पांडेय अश्रु
प्यार-मोहब्बत के पीछे भागोगे तो ये दूर चला जाएगा।
प्यार-मोहब्बत के पीछे भागोगे तो ये दूर चला जाएगा।
Ajit Kumar "Karn"
পছন্দের ঘাটশিলা স্টেশন
পছন্দের ঘাটশিলা স্টেশন
Arghyadeep Chakraborty
*********** एक मुक्तक *************
*********** एक मुक्तक *************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
https://vin777.contact/
https://vin777.contact/
VIN 777
4334.*पूर्णिका*
4334.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
DrLakshman Jha Parimal
Loading...