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15 Jan 2023 · 1 min read

■ उलझाए रखो देश

“बेमतलब की परिणामहीन बैठको में उलझा समूचा तंत्र। केवल समय बिताने का षड्यंत्र।”
चुनावी साल में जनता को समझनी होगी सियासत की चाल और बैठकों के नाम पर बनाया जाता मायाजाल। जो केवल एक छलावे से अधिक कुछ नहीं।
■ प्रणय प्रभात ■

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