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22 Dec 2022 · 1 min read

बस

शाख से गिरे पत्ते
अब तो बख्श दो
बेहतर नहीं तुमसे
रास्ते से हटकर
एक कोना बस
बाकी सब तुम्हारा
यकीं करो मेरा
फिर जींद नहीं हूँगा
एक कोना बस
तुम उड़ पाते हो
हवा के संग सब
एक कोना बस
मेरे लिए आरक्षित
मैं स्थायी हूँ मगर
समवाय की आस लिए
एक कोना बस ।
– मोहित

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