Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
28 Nov 2022 · 1 min read

शव

ना जाने क्यों मेरी मरने के बाद
जो देखने नहीं आते थे
वो आंसू क्यों बहा रहे है
अपनी आंसुओं की बारिश से
मुझे नहलाये क्यों जा रहे हैं
आज मैं हैरान हूं देख कर परेशान हूं
जो मेरे दुख में कभी आए नहीं थे
वो छाती पीट पीट कर रोए जा रहे हैं
आज बड़े प्यार से मुझे नहलाए जा रहे हैं
इत्र पर इत्र लगाए जा रहे हैं
चार कंधों वाली पालकी पर
बड़े प्रेम से मुझे सुनाए जा रहे हैं
जिसको कभी बुलाने पर आया नहीं था
वो ढोलक झाल बजाए जा रहे हैं
गजब तो उस दिन हुआ
मेरे चौथे के पहले ही बंटवारे की बात किए जा रहे थे
तब समझ में आया
मुझसे नहीं मेरे दौलत से प्यार किए जा रहे थे

सुशील चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार

Loading...