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18 Nov 2022 · 1 min read

यहां सुनता नही कोई

तू चल अकेला ये जीवन संघर्ष तेरा है
हिस्से दारी की तमन्ना बस वहम तेरा है
यहां दर्द के नही ,बस शौहरत के भागीदार
ये गूंगो की बस्ती है यहां अंधों का बसेरा है
यहां सिसकियों को हाथ बढ़ाता नही कोई
ये नगरी है बहरो की यहां सुनता नही कोई

प्रज्ञा गोयल ©®

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