Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Sep 2022 · 1 min read

*मठ में माया* 【 *कुंडलिया* 】

मठ में मायाकुंडलिया
■■■■■■■■■■■■■■■■
माया लो जाकर बसी ,मठ के भीतर व्याप्त
तुच्छ गृहस्थी देह को , मठाधीश अब प्राप्त
मठाधीश अब प्राप्त ,रमा धन-दौलत-मद में
साजिश रचते शिष्य ,चाहतें सबकी पद में
कहते रवि कविराय ,घोर कलयुग यह आया
घर से ज्यादा आज , मिलेगी मठ में माया
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Loading...