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18 Sep 2022 · 1 min read

बदल गया मेरा मासूम दिल

आज हम अपने बचपन वाले,
जिन्दगी से मिलने चले थे।
ढूँढ रहे थे बचपन वाले
मासूम सा दिल को,
लेकिन आज मेरे जिदंगी के आईने
वे दिख नही रहे थे।
था मुझसे मिलता-जुलता ,
मेरा हमशक्ल चेहरा।
पर दिल उसके पहले जैसा
मासूम दिख नही रहे थे।
वह मासूम सा दिल,
जो बचपन में हुआ करता था।
वक्त के थपेड़ों से लड़ते-लड़ते,
आज पत्थर का बन गये थे।
आज लगा रही थी मैं,
मासूम दिल को आवाज।
लेकिन आज वह आवाज,
पत्थर बने दिल से टकराकर,
ज्यों का त्यों मेरे पास लौट आ रहे थे।
हम कहाँ से कहाँ बदल गए ,
जिदंगी आज हमें इस बात का
एहसास करा रही थी।
हमने क्या खोया क्या पाया,
आज हमें समझा रही थी।
पत्थर पाने की चाह में
मैंने सोने सा दिल खो दिया,
आज जिदंगी इस बात का
मुझे एहसास करा रही थी।
खुशी के पल बहुत पीछे छुट गए,
आज जिदंगी हमें गम देकर,
जवानी की नई सीख सीखा रही थी।

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