Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2022 · 1 min read

बचपन बेटी रूप में

बचपन बेटी रूप में,जब से आया द्वार।
उसकी मंजुल मृदुल छवि,जीवन का शृंगार।।

एक सुनापन था हृदय,हुआ स्वतः आबाद।
विजय लालिमा गर्व से,छलक रहा अह्लाद।।

मिला खोजती थी जिसे,प्रवर रत्न अनमोल।
कानों में घुलने लगी, उसकी मीठी बोल।।

पुलक रहे थे अंग सब,उर अतुलित आनंद।
बचपन फिर से गोद में,खेल रहा स्वच्छंद।।

गूंज उठा घर आँगना,किलकारी किल्लोल।
सुरभित ये वातावरण, इत्र रही है घोल।।

सुखमय ये पावन दिवस,सदा रहेगा खास ।
मिली मुझे नव जिन्दगी ,एक नवल अहसास।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

2 Likes · 1 Comment · 330 Views
Books from लक्ष्मी सिंह
View all

You may also like these posts

3572.💐 *पूर्णिका* 💐
3572.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
संत गुरु नानक देवजी का हिंदी साहित्य में योगदान
संत गुरु नानक देवजी का हिंदी साहित्य में योगदान
Indu Singh
देश भक्ति
देश भक्ति
Santosh kumar Miri
किसान कविता
किसान कविता
OM PRAKASH MEENA
किसी की इज़्ज़त कभी पामाल ना हो ध्यान रहे
किसी की इज़्ज़त कभी पामाल ना हो ध्यान रहे
shabina. Naaz
संसार की इस भूलभुलैया में, जीवन एक यात्रा है,
संसार की इस भूलभुलैया में, जीवन एक यात्रा है,
पूर्वार्थ
मदांध सत्ता को तब आती है समझ, जब विवेकी जनता देती है सबक़। मि
मदांध सत्ता को तब आती है समझ, जब विवेकी जनता देती है सबक़। मि
*प्रणय*
आक्रोश प्रेम का
आक्रोश प्रेम का
भरत कुमार सोलंकी
*कुंडी पहले थी सदा, दरवाजों के साथ (कुंडलिया)*
*कुंडी पहले थी सदा, दरवाजों के साथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
पटाक्षेप
पटाक्षेप
इंजी. संजय श्रीवास्तव
चूहे
चूहे
Vindhya Prakash Mishra
** गर्मी है पुरजोर **
** गर्मी है पुरजोर **
surenderpal vaidya
ज़िंदगी किसे अच्छी नहीं लगती ?
ज़िंदगी किसे अच्छी नहीं लगती ?
ओनिका सेतिया 'अनु '
विडंबना
विडंबना
Shyam Sundar Subramanian
श्रीराम का नारा लगाओगे
श्रीराम का नारा लगाओगे
Sudhir srivastava
जुआं में व्यक्ति कभी कभार जीत सकता है जबकि अपने बुद्धि और कौ
जुआं में व्यक्ति कभी कभार जीत सकता है जबकि अपने बुद्धि और कौ
Rj Anand Prajapati
नशीली आंखें
नशीली आंखें
Shekhar Chandra Mitra
तेरे होने से ही तो घर, घर है
तेरे होने से ही तो घर, घर है
Dr Archana Gupta
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर?
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर?
Bindesh kumar jha
धोने से पाप नहीं धुलते।
धोने से पाप नहीं धुलते।
Kumar Kalhans
वर्तमान चोर संत कबीर।
वर्तमान चोर संत कबीर।
Acharya Rama Nand Mandal
"महानता के प्रतीक "
Dr. Kishan tandon kranti
*हम तो हम भी ना बन सके*
*हम तो हम भी ना बन सके*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ज़िन्दगी के निशां
ज़िन्दगी के निशां
Juhi Grover
लिख दूं
लिख दूं
Vivek saswat Shukla
श्री राम
श्री राम
Mahesh Jain 'Jyoti'
नाज़नीन  नुमाइश  यू ना कर ,
नाज़नीन नुमाइश यू ना कर ,
पं अंजू पांडेय अश्रु
हमारा दिल।
हमारा दिल।
Taj Mohammad
बाल कविता: वर्षा ऋतु
बाल कविता: वर्षा ऋतु
Rajesh Kumar Arjun
‘प्यारी ऋतुएँ’
‘प्यारी ऋतुएँ’
Godambari Negi
Loading...