Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 Sep 2022 · 1 min read

अभिलाषा

नहीं चाहती सुरबाला सी
इठलाना तुमको ललचाना।
नहीं चाहती प्रेमी बनकर
देह तुम्हारा,पौरुष पाना।
वांछित बनना, उत्स तुम्हारा
बन आलोक तेरे पथ जलना।
मातृभूमि की गरिमा कहने
हे कवि,मरकर,पुन: जनमना।
——————–18/9/21 —————————

Loading...