परिवार के दोहे
बेटी
बेटी हमारी पूजा, कुमकुम, रोली, रंग।
फिर भी उसके हाथ में, रेखाओं की जंग।।
बेटा
बेटा तो संकल्प है, सबका उन्नत भाल।
कलावा, पान, सुपारी, कुछ बनने का थाल।।
तात
कर जोड़ करतार खड़ा, पूरन हो सब काम।
बेटा बेटी एक सम, शत प्रतिशत परिणाम।।
मात
हर दिन ही उपवास है, घण्टों पूजा पाठ।
चाह नहीं कुछ और प्रभु, दे बच्चों को ठाठ।।
सूर्यकांत