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26 Aug 2022 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल
वज़्न – 22 22 22 22 22 2

तुमने हमको पास बुलाया ग़फ़लत में
अपने दिल का राज़ सुनाया ग़फ़लत में ।

होश तुम्हें होता तो झूठा कह देते
हमको तुमने सजन बताया ग़फ़लत में ।

सह लेता हूँ बातें नीची नज़रों से
उस दिन मैंने शोर मचाया ग़फ़लत में ।

चार पैग तक होश मुझे था ख़ूब मगर
आगे मैंने पिया पिलाया ग़फ़लत में ।

हँसता हूँ तो पागल कहते हैं मुझको
वो क्या जानें दर्द छिपाया ग़फ़लत में ।

– अखिलेश वर्मा
मुरादाबाद

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