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21 Aug 2022 · 1 min read

जिंदगी के उस मोड़ पर

सुनो…

अब तुम से हम

जिंदगी के उस
हमें मोड़ पर मिलेगे……

जहाँ सारे गिले शिकवे अपनी

अहमियत खो चुके होंगे

जहां बस रूह की आवाज

सुनी जा सकेगी
….

बहुत नज़दीक होकर

हम बहुत दूर होंगे

मौसम ए खिज़ा

गुजर ना चाहता था

मगर वो ठहर गया

गया
हम क्या करते वहां
रुक कर

तो ……..

चले आए वहा से

खुद को लेकर किसी

ख़ुबसूरत बहारो

की आस में..

फ़िर यू हुआ के …. क़दम बा क़दम खुल ते गए

राज़ सारे…………

उसकी चेहरे की एक अलग

दास्तान थी…

गमों की आग…

बहरे ……बेकरा थी (अथाह समुद्र)

बचाया फिर हमने खुद का

दमन बचाया।
…….

शुक्र है मौला

तूने तूफ़ानो से

निकाला… …

सुनो …… हम अब तुम्हें

आवाज़ नहीं देंगे

तुम को सुननी

अपने दिल की आवाज़

अपनी- रूह की आवाज…..

अगर किसी को मना पाओगे

तो खुद को क्या खुदा को भी
पा जाओगे

शबीनाज

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