*चार दिवस की जिंदगी (कुंडलिया)*
चार दिवस की जिंदगी (कुंडलिया)
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चार दिवस की जिंदगी, चार दिवस का साथ
कटुता फिर क्यों किसलिए, चाकू-छुरियॉं हाथ
चाकू-छुरियॉं हाथ, द्वेष-ईर्ष्या फुफकारे
करें यत्न इस भॉंति, शत्रुता हर विधि हारे
कहते रवि कविराय, मनुज के है सब बस की
सोचो करो प्रयत्न, साधना चार दिवस की
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451