Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 Aug 2022 · 1 min read

इज्जत नहीं है पैसा ।

रिश्ते के टूटते डोर से कब तक
रक्खों प्यार को थाम कर
गिर चुका है जो चंद ही लम्हों में
वर्षों की बात वहां क्या करनी है।
फक्र करो उन निर्दोष बच्चों को जो पैदा होते नफरतें, तिरस्कार ,तकरार ही देखते हैं।
उन मासूम दिलो से मासूमियत छीनने वाले के दिलो की मासूमियत पहले ही मर चुकी होती है।
पैसा क्या है, क्या तुम पैसे से बनी हो
था पैसा खाते हो हां जरूरत है पैसा एनर्जी है, पैसा शोहरत, पर इज्जत नहीं है पैसा।

Loading...