Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 Jul 2022 · 1 min read

वक्त लगता है

पुरानी दरख़्त हिलाने में वक्त लगता है
सरल उबर के आने में वक्त लगता है !

खिलता नहीं है कमल गुलशन में कभी
कांटो से साथ निभाने में वक्त लगता है!

किनारों पर खड़ी हुई है कश्तियां कई,
उजड़ने की कगार पर है बस्तियां कई,

मुफलिसी में दबी पड़ी है हस्तियां कई बंजर में फूल खिलाने में वक्त लगता है!

घर से निकलता है हर कोई स्वप्न ले कर किनारा करके आने में वक्त लगता है !

अनुकूल हो हालात चल लेता है हर कोई
फौलादी जिगरा बनाने में वक्त लगता है!

बहाकर ले जाती हैं लाशों को यह लहरें
लहरों के विरुद्ध जाने में वक्त लगता है

शहद मुंह से बिखेर देता है हर कोई ,
दिल में जगह बनाने में वक्त लगता है !

पुरानी दरख़्त हिलाने में वक्त लगता है सरल उबर के आने में वक्त लगता है!!

Loading...