Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 Jul 2022 · 1 min read

जैसे चलती है रहगुज़र तन्हा

जैसे चलती है रहगुज़र तन्हा
ज़िन्दगी का है ये सफ़र तन्हा

जीते जी मर ही जायेंगे हम तो
छोड़ तुमने दिया अगर तन्हा

जिसको आना था वो नहीं आया
कर गई हम को ये ख़बर तन्हा

कर दिया वक़्त ने जुदा क्यों रब
हम इधर और वो उधर तन्हा

लोग चलते हैं रात दिन इस पर
फिर भी कितनी है ये डगर तन्हा

ज़िन्दगी सिलसिला है मेलों का
आना – जाना तो है मगर तन्हा

चाहिए ज़िन्दगी में अपने भी
वर्ना कटता नहीं सफ़र तन्हा

डूब जाते हैं जो अकेले हैं
पार होती नहीं भँवर तन्हा

जो थे अपने हुए पराये सब
हो गये छू के हम शिखर तन्हा

अश्क़ पीती कभी बहाती दिखी
“अर्चना” हम को हर नज़र तन्हा

डॉ अर्चना गुप्ता

Loading...