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18 Jul 2022 · 1 min read

#अनकहे अल्फ़ाज़ #

खुद के घर शीशे के हों तो ,
पत्थर नहीं चलाया करते।
मान किसी से पाना हो तो,
ताने नहीं सुनाया करते।।
माना की मजबूर बहुत हूं,
मैं अपने हालातों से ।
देख बेबसी औरों की
उपहास नहीं उड़ाया करते।।
बुरा वक्त है बीत जाएगा,
अच्छा समय भी आएगा।
घाव अगर लग जाए मन पर
वक्त भी न भर पाएगा।।
झूठा रौब दिखाकर के ,
कब तक सम्मान कराओगे।
रिश्ते तो दिल से होते हैं,
बेमन से कैसे निभाओगे।।
प्यार के बदले प्यार है मिलता,
जग की रीति पुरानी है।।
जिसने तोड़ी रीति ,इस जग की
वह कहीं का न रह पाएगा।।
गांठ अगर पड़ जाए मन में,
फिर कोई खोल न पाएगा।
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ

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