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13 Jul 2022 · 1 min read

दिल को बहलाना आ गया

दिल को बहलाना आ गया
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दिल को बहलाना आ गया,
गम में मुलकाना आ गया।

खुल कर हम बेशक हंसते,
हद में शरमाना आ गया।

काले बादल छाये मगर,
ख़ुशियाँ बरसाना आ गया।

चुप रह कर सीखा आप से,
बातें बतलाना आ गया।

मनसीरत दुख सहता रहा,
जिंदा रह जाना आ गया।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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