सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
भावो का अंजन किया ,दृग से दृग संधान ।
नव वर्ष सुन्दर रचे, हम सबकी हर सोंच।
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
#ਚਾਹਤ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
कभी खुश भी हो जाते हैं हम
ग़म है,पर उतना ग़म थोड़ी है
हिन्दी ग़ज़लः सवाल सार्थकता का? +रमेशराज
प्रेम के दरिया का पानी चिट्ठियाँ
हमने ये शराब जब भी पी है,
दुनिया बड़ी, बेदर्द है, यह लिख गई, कलम।।
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
****जिओंदा रहे गुरदीप साड़ा ताया *****
देख बहना ई कैसा हमार आदमी।
*आए ईसा जगत में, दिया प्रेम-संदेश (कुंडलिया)*
मूर्छा में जीते जीते जीवन को नर्क बना लिया।