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4 Jun 2022 · 1 min read

रोज हम इम्तिहां दे सकेंगे नहीं

रोज हम इम्तिहां दे सकेंगे नहीं
थक गये ये कदम अब चलेंगे नहीं

ज़िन्दगी हमसे हर बार कहती रही
दर्द ज़ख्मों का अपने सहेंगे नहीं

तोड़ दे दिल हमारा अगर आज तू
हम शिकायत भी तुझसे करेंगे नहीं

जान चाहे चली जाए बे मौत ही
बात दिल की किसी से कहेंगे नहीं

तुम न करना जुदाई की बातें कभी
अलविदा कह दिया तो मिलेंगे नहीं

पा सकेंगे नहीं अपनी मंज़िल यहाँ
वक़्त के साथ हम गर बहेंगे नहीं

चाहे कितनी भी हमको मिलें धमकियाँ
मौत से ‘अर्चना’ हम डरेंगे नहीं
03-06-2022
डॉ अर्चना गुप्ता

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