Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 May 2022 · 1 min read

#मन मेरे

#मालिनी छन्द

मालिनी एक सम वर्णवृत्त छन्द है। इसमें चार चरण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में दो ‘नगण’ एक ‘मगण’ और दो ‘यगण’ के क्रम से 15-15 वर्ण होते हैं। प्रत्येक चरण में आठवें और सातवें वर्णों पर यति होती है।

वर्ण- III/III/SS, SIS/SIS/S

#मन मेरे

सुन-सुन मन मेरे, मैं वहाँ तू जहाँ भी।
रहकर वश मेरे, दौड़ ले तू कहाँ भी।।
विजय निकट होगी, जीत जाऊँ तुझे रे।
अवसर तुझसे ही, दे सहारा मुझे रे।।

नटखट मत होना, संग तेरा ज़रूरी।
नितदिन मन होगी, प्रेम से जी हुज़ूरी।।
सुघर सफ़र पाऊँ, रूठ जाए निराशा।
हसरत सब पूरी, पीर पाए हताशा।।

जब-जब तितिक्षा से, स्पर्श पाया मनीषी।
तब-तब उसका तू, हो गया रे हितैषी।।
सुन मन मुझको भी, हीनता से बचाना।
प्रिय परम सुखों का, पान प्यारे कराना।।

हर उलझन में तू, साथ मेरा निभाना।
पथ भटक न जाऊँ, लक्ष्य मेरा दिखाना।।
तुझ बिन मन मेरे, कौन साथी यहाँ है।
हर हलचल में तू, और साथी कहाँ है।।

#आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित

Loading...