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20 May 2022 · 1 min read

सुबह आंख लग गई

न जाने क्यों ?
आज सुबह आंख लग गई
गर्व है खुद पर
अरली राइजर हूं
घर मे सबसे पहले
मै ही उठता हूं
सैर को जाता हूं
सेहत का ख्याल रखता हूं
भूलोक का अमृत
मट्ठा पीता हूं
आयुर्वेद अपनाता हूं
लेजीनेस दूर भगाता हूं
दिन भर फुर्तीला रहता हूं
आज ऐसा न हो सका
आंख तो खुली थी
उठा भी था
लेकिन फिर लेट के सो गया
ऐसा लगा पत्नी ने जगाया
ऐ जी, आठ बज गये
फिर से नौजवान हो रहे हो ?
देर तक सो रहे हो
सकपका के उठ गया
घबरा गई थी
ये क्या हो रहा है ?
जगाने वाला सो रहा है।

स्वरचित
मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर

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