*लॉकडाउन 4 : सात नए दोहे*
लॉकडाउन 4 : सात नए दोहे
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(1)
बीत रही है अब मई , खाताबही उदास
बोली जाने कब खुले ,नया वर्ष नव मास
(2)
जाने कब ग्राहक दिखे ,कब हो शुरू दुकान
किसे पता कितना चले ,यह लंबा नुकसान
(3)
वस्तु अनावश्यक नहीं , लेंगे कोई लोग
सब अंदर से खोखले , सबके भीतर रोग
(4)
घाटा अब भी चल रहा , परेशान इंसान
आमदनी जीरो हुई , क्या होगा भगवान
(5)
पर्वत पर वर्षा नहीं , नदियाँ रेगिस्तान
सागर को चिंता हुई ,कब तक मेरी शान
(6)
घर में बैठे बच गए , सही सलामत जान
बाहर निकले तो पता , क्या-क्या हो नुकसान
(7)
लगी – बँधी इस दौर में ,जिनकी होती आय
बेफिक्री से खा रहे , पीते हँसकर चाय
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 545 1