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17 May 2022 · 1 min read

मतला और एक शे'र

आँखों को उनकी हम पढ़ने लगे हैं ।
चाहत की इंतिहा समझने लगे हैं ।।

ज़ेहन में उनका.. करके तसव्वुर ।
राह ए इश्क़ पर…. चलने लगे हैं ।।

©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ीकीक़लम

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