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12 May 2022 · 2 min read

मेरा पहला प्यार।

आज बरसों बाद मैं ,
अपने पहले प्यार से मिली ।

देख उसे मेरी आँखें,
है झलक पड़ी।

उसको एक नजर देख कर,
दिल को बड़ी सकून है मिली।

रहा नही दिल पर काबू ,
उसे देखते ही मैं रो पड़ी।

शिकायत हमें भी थी उससे,
शिकायत उसे भी रही होगी।

मैंने अपने शब्दों मैं शिकायत,
लेते हुए उससे कहाँ।

तुम्हें तो चाहने वालों की ,
कोई कमी न रही होगी ।

तुझे तो कभी भी मेरी याद ,
आई ही नहीं होगी।

पता है तेरे जाने के बाद ,
मैं कितना तन्हा सी हो गई।

तेरे जाने के बाद मैं आज तक
कभी खिल-खिलाकर न हँसी।

उसने मुझसे धीरे से कहा ,
ऐसी कोई बात नहीं।

वह तो तू ही थी जो मुझे
छोड़ आगे बढ चली।

मैं तो बार- बार तेरे दर,
को खट -खटाती रही।

वह तो तू ही थी जो कभी
मेरी आवाज न सूनी।

मैंने तो तुम्हें कई बार
समझाने की कोशिश की।

वह तो तुम ही थी जो अपने
जीवन मैं मशगूल हो चली।

मत छोड़ मुझे अपना ले,
मैं बार – बार कहती रही।

मैं तो उसी जगह पर आज
भी तेरे इंतजार में हूँ खड़ी।

वो तुम ही हो जिसे मुझसे
मिलने का वक्त ही न मिला।

खैर,छोड़ो अब गिला – शिकवा
मुझे फिर से अपनाओ तो सही।

फ़िर पहले तरह मुझको
गले लगाओ तो सही।

मैं वही कलम – कविता हूँ तेरी,
जो तेरी पहली प्यार हुआ करती थी कभी।

एक बार फिर मुझसे
उसी प्यार से मिलो तो सही।

देखो फिर कैसे मैं तुम्हारी,
तकदीर बदल देती हूँ।

फिर तुम्हारे इस प्यार बदले ,
कैसा मुकाम मैं देती हूँ ।

एक बार फिर तू मेरी पहले वाली,
दीदार कर तो सही।

देख कैसे मैं तुम्हें अँधेरे से,
उजाले में लेकर जाती हूँ ।

देख कैसे हम दोनों के प्यार को
एक नया पहचान दिलाती हूँ

~अनामिका

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