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12 May 2022 · 1 min read

अज़ीब हूनर हमने इस पैसे में देखा

अज़ीब हूनर हमने इस पैसे में देखा।
अपनो को अपनो से अलग होता देखा।।

अज़ीब हूनर हमने इस माया में देखा।
आज इसके पास कल दूसरे के पास देखा।।

अज़ीब हूनर हमने इस वक्त में देखा।
जवानी देकर बचपन को लुटते देखा।।

हूनर दिखाने वाले को सड़को पर देखा।
बे हूनर वालो को राज महलों में देखा।।

जिस औलाद को उंगलियां पकड़ते देखा।
उसी औलाद को उंगलियां दिखाते देखा।।

कभी नाव को हमने पानी में चलते देखा।
उसी पानी को हमने नाव में भरते देखा।।

इस वक्त में कुछ तो हुनर है मेरे दोस्तो।
जो कल देख चुके उसे आज नही देखा।।

रस्तोगी की अर्ज है,वक्त की कद्र करो दोस्तो।
जो वक्त बीत गया,उसे लौटते कभी न देखा।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

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