*10 लॉकडाउन-दोहे*
10 लॉकडाउन-दोहे
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(1)
रिक्त खजाने हो गए ,खाली कुएँ तमाम
खर्चों की महफिल जुड़ी ,आमदनी गुमनाम
( 2)
उगता सूरज आएगा ,अंधेरे को चीर
पल दो पल की देर है ,मत हो मनुज अधीर
(3)
बंद दुकानें हो गईं , हुआ ठप्प व्यापार
मध्यम जन किससे कहे ,हम भी हैं लाचार
(4)
सोए थे चौबीस को ,मार्च माह की रात
लेकिन ऐसा लग रहा ,जैसे कल की बात
(5)
गतिविधियाँ सब रुक गईं, कोरोना का काल
खबरें अब कैसे हँसें , सबसे बड़ा सवाल
( 6)
राजकोष खाली हुए ,जनता हुई गरीब
बीमारी में हो गए ,सबके बुरे नसीब
( 7)
दादी नानी डालतीं , पहले रहीं अचार
याद पुरातन आ रहा ,संकट में इस बार
( 8)
कोरोना सिखला गया ,झाड़ू पोछा आप
घर का खाना खाइए ,सुबह शाम चुपचाप
( 9)
आमदनी कम हो गई ,फँसी भँवर में नाव
खर्चे कम कर दीजिए ,यह ही एक बचाव
(10)
कुदरत ने यह क्या किया ,बिगड़ा सारा खेल
हँसकर पक्षी उड़ रहे ,हुई मनुज को जेल
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451