*दस दोहे* (लॉकडाउन)
दस दोहे
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( 1 )
घबराहट सबसे बुरी , धीरज से लो काम
विपदा का ऐसे करो ,जग से काम तमाम
( 2 )
रूखा – सूखा जो मिले ,खाकर करो बचाव
गुलछर्रों के दिन गए ,फँसी नदी में नाव
( 3 )
जिंदा केवल वह बचे ,दिखे नहीं बाजार
लक्ष्मण – रेखा में रहे ,भीतर घर के द्वार
( 4 )
पुरुषों को करने पड़े , घर के जब सब काम
तब गृहणी की दिव्यता ,समझी किया प्रणाम
( 5 )
पतली गलियाँ इस तरह ,आतीं अक्सर काम
चाय बराबर मिल रही , खिड़की से अविराम
( 6 )
आज सुबह सूरज उगा , लाया था सौगात
बोला कल तुम बच गए ,वाह वाह क्या बात
( 7 )
विपदा उनका क्या करे, जिनके घर में प्यार
मिलजुल कर सब सह लिया, ऐसे बेड़ा पार
( 8 )
पहनो मुख पर मास्क को ,धोओ अपने हाथ
कृपा करेंगे सर्वदा ,सब पर दीनानाथ
( 9 )
दर्जी दुनिया दिल दवा ,दफ्तर और दुकान
शब्द कहाँ अब फारसी ,घर के बंधु समान
( 10 )
विपदा में संयम रखो ,मुख पर मधु मुस्कान
आते जाते हैं सहो ,नफा और नुकसान
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451