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20 Apr 2022 · 1 min read

।। मेरे तात ।।

खुशकिस्मत हूँ मैं तात, जो तेरे साये में पला हूँ
तेरे कन्धों पर बैठ के ही अपने बचपन में चला हूँ

तेरी उंगली को थाम थाम, हर एक पग पर मैं बढ़ा हूँ
अपनी सारी खुशियाँ पाकर, बेसुध सा तुझ पर हँसा हूँ

तूने अपनी खुशियों को, मेरी खुशियों पर वार दिया
अपने जीवन के संघर्षों से हम सब को आधार दिया

तेरे बलिदानों की गाथा को अपने वेद पुराण बनाऊं
तेरे देखे हर सपनों को, तेरे समीप साकार बनाऊं

मैं जग में काबिल हो जाऊं, तेरे सपनों को सच कर जाऊं
तेरे सपनो में पंख लगाकर, हर तीरथ की मैं सैर कराऊं ।

।। आकाशवाणी ।।

आकाश यादव
शाहजहांपुर (उ0 प्र0)

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