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19 Apr 2022 · 1 min read

जिंदगी

समंदर मचल जाते धारायें बदल जाती
पराये कहां अपनो की नियत बदल जाती

सुंदरता ढल जाती तस्वीरें धुंधला जाती
जीवन नही रह जाता सांसे नही चल पाती

कड़वी बातें मीठी बातें सब बेमानी हो जाती
सुख दुख अपने रिश्ते गुजरी बातें हो जाती

वक्त का पहिया घूमता तस्वीर बदल जाती
जमाने गुजर जाते यादें भी सिमट जाती

ऐ मुसाफिर चलता चल राहें तुझे बुलाती
ख्वाब नये बुनता चल उम्मीदें तुझे जगाती

हंसायेगी रूलायेगी जिंदगी अदाएं दिखाती
कांटो भरी राह ही सम्भलना तुझे सिखाती

प्यार करेगी मनुहार करेगी गले से लगाती
फूलों से सजायेगी बारिस बूदों से नहलाती

सत्कर्म कर परहित मन शांत रख ऐ प्राणी
झंझावातों से परे जिंदगी चिर निद्रा सुलाती

स्वरचित
मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर

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