Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
18 Apr 2022 · 3 min read

*देश-भक्ति के भावों का पर्याय बन गईं श्री रामावतार त्यागी की पंक्तियाँ*

देश-भक्ति के भावों का पर्याय बन गईं श्री रामावतार त्यागी की पंक्तियाँ
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
मन समर्पित ,तन समर्पित और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती ,तुझे कुछ और भी दूँ
उपरोक्त देश-भक्ति के भावों से भरी हुई पंक्तियाँ पिछले अनेक दशकों में अनेक बार कहीं न कहीं पढ़ने को मिलीं। वस्तुतः देशभक्ति को समर्पित कार्यक्रमों में यह पंक्तियाँ देशभक्ति का पर्याय बनकर निमंत्रण पत्रों तथा मंच के बैनरों पर प्रायः अंकित होती रही हैं। पढ़कर इनके रचनाकार को सराहता था और सोचता था कि वह कवि धन्य है जिसकी लेखनी से यह मार्मिक पंक्तियाँ सृजित हुई हैं। लेकिन कवि को नहीं जान पाया।
साहित्यिक मुरादाबाद व्हाट्सएप समूह के एडमिन डॉ मनोज रस्तोगी ने गीतकार श्री रामावतार त्यागी का परिचय प्रस्तुत करने का आयोजन रखा ,तब पता चला कि मैं जिनको खोज रहा था ,वह कविश्रेष्ठ हमारे रामपुर से अत्यंत निकटवर्ती क्षेत्र संभल में जन्मे श्री रामावतार त्यागी ही हैं। ऐसा प्रायः हो जाता है कि व्यक्ति से ज्यादा उसकी रचना प्रसिद्ध हो जाती है ।.उपरोक्त पंक्तियों के संबंध में भी यही बात चरितार्थ होती है।
संभल के एक जमींदार परिवार में 8 जुलाई 1925 को जन्मे श्री रामावतार त्यागी मे जो गीत लिखे ,वह उनकी जुझारू फौलादी मानसिकता को प्रकट करने वाले हैं। प्रत्येक गीत में विपरीत परिस्थितियों से जूझने का आवाहन है और टूटते रहने के बाद भी न टूटने का संकल्प है । देशभक्ति के गीत की जिन उपरोक्त पंक्तियों का मैंने ऊपर उल्लेख किया ,उसके अतिरिक्त भी अनेक कालजयी गीत रामावतार त्यागी जी की लेखनी से निकले हैं । ऐसा ही एक गीत है :-

इस सदन में मैं अकेला ही दिया हूँ
मत बुझाओ !
जब मिलेगी ,रोशनी मुझसे मिलेगी

उपरोक्त गीत भी अत्यंत आशावादी मानसिकता को उजागर करने वाला है। आत्मबल से भरपूर तथा अकेलेपन के बाद भी संसार को परिवर्तित कर सकने की दृढ़ इच्छाशक्ति गीतकार के शब्दों में मुखरित हुई है ।
श्री रामावतार त्यागी के गीतों की गूँज हिंदी फिल्म जगत तक भी पहुंची और एक फिल्म “जिंदगी और तूफान” 1975 में बनी, जिसमें उस समय के चोटी के पार्श्वगायक श्री मुकेश की आवाज ने रामावतार त्यागी जी के गीत को अमर कर दिया । गीत के बोल इस प्रकार हैं :-

जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है

एक हसरत थी कि आँचल का मुझे प्यार मिले
मैंने मंजिल को तलाशा ,मुझे बाजार मिले

व्यक्ति में अगर कुछ गुण होते हैं तो उन गुणों के ग्राहक संसार में मिल ही जाते हैं। एक अध्यापक के रूप में रामावतार त्यागी जी की सफलता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है कि स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपने दोनों पुत्रों श्री राजीव गाँधी और श्री संजय गाँधी को हिंदी बोलना सिखाने के लिए श्री रामावतार त्यागी को निजी शिक्षक के तौर पर रखा था । इस तरह हम कह सकते है कि श्री रामावतार त्यागी को कवि सम्मेलनों के मंच पर जहाँ एक ओर सफलता प्राप्त हुई ,वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री-परिसर में उनका प्रवेश भी सांसारिकता की दृष्टि से उनकी सफलता का ही एक आयाम था।
श्री रामावतार त्यागी की अद्वितीय रचना धर्मिता को शत शत प्रणाम ।
—————————————————-
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Loading...