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16 Apr 2022 · 1 min read

पिता

पिता बाहर कड़ी धूप में जलता है।
तब कही घर में चूल्हा जलता है।।

पिता एक उम्मीद है एक आस है।
परिवार की हिम्मत व विश्वाश है।।

पिता बाहर से सख्त अंदर से नर्म है।
उसके दिल में दफ़न अनेको मर्म है।।

पिता है तो सारे रंगीन सपने है।
बाजार के सारे खिलोने अपने है।

पिता भले ही ऊपर से गरीब है।
पर अन्दर से वह बहुत अमीर है।।

पिता परिवार का बड़ा अरमान है।
हर मुश्किल उसके लिए आसान है।।

पिता जिन्दगी की धूप में छाया है।
पर वह मुसीबत में नही घबराया है।।

पिता आंधियों में हौसलों की दीवार है।
मुसीबतो के दिनों में दो धारी तलवार है।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

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