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16 Apr 2022 · 1 min read

'चाहत'

‘चाहत’
मुस्कराहट मुखड़े पर खिली रहे,
ज़माने में तुमको खुशी मिलती रहे।
दूर रहने से करीबियां कम होती नहीं,
अगर आस मिलने की सुलगती रहे।

पास तुम थे तो हर पल हसीन थे,
दूर जब हुए हम कुछ ग़मगीन थे।
शिद्दत से मांगती हूँ खुदा से दुआ,
वो दिन दुबारा मिलें,
जो ताजा तरीन थे।

चाहत की तासीर होती अमीर है,
लगता हमेशा निशाने पे तीर है।
बदल सकती है चाल वक्त की,
दिल की मुराद पूरी कर दे ये वो बसीर है।

©®
गोदाम्बरी नेगी

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