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13 Apr 2022 · 1 min read

कहानी ज़िंदगी की मेरी

ये कैसी कहानी है
ज़िंदगी की मेरी
है मेरी जान सामने मेरे
लेकिन फिर भी
हो रही आज सांझ
जिंदगी की मेरी

जो चाहता था मैं
मिल गया आज मुझे
लेकिन बची नहीं सांसें
धड़कनों में मेरी
है ये कैसी विडंबना
ज़िंदगी की मेरी

चाहा जी भरकर उसे
चाहत का इज़हार किया
लेकिन उसने परवाह न की
बंदगी की मेरी
है ये कैसी विडंबना
ज़िंदगी की मेरी

थी इंतज़ार की घड़ियां
बहुत लंबी मेरी
बीत गए बरसों आज
हसरत थी उसे पाने की मेरी
है ये कैसी विडंबना
ज़िंदगी की मेरी

जा रहा हूं मैं आज
है वो मेरे सामने खड़ी
देख रही आंखों में
आंखें डालकर मेरी
है ये कैसी विडंबना
ज़िंदगी की मेरी

रहम कर मुझ पर
थोड़ा ए मौत मेरी
बक्श दे थोड़ी देर
ये ज़िंदगी मेरी
है मेरा प्यार सामने
जा रही जान मेरी
है ये कैसी विडंबना
ज़िंदगी की मेरी।।

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