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7 Apr 2022 · 1 min read

कोई भी बात तुम्हारी बुरी नहीं लगती।

गज़ल

1212…..1122…..1212…..22/112
कोई भी बात तुम्हारी बुरी नहीं लगती।
तुम्हारे बिन तो मुझे जिंदगी नहीं लगती।

तेरे ही प्यार की मुझको, कमी है दुनियां में।
मुझे जहान में, कोई कमी नहीं लगती।

तमाम लोग जो जीते हैं, मरते सड़कों पर,
सफेद पोशों को ये, बेबसी नहीं लगती।

बुझा जो प्यास न पाए, बशर की पानी से,
अगर वो सूख चुकी है, नदी नहीं लगती।

जहां पे हो न कोई, शख्स अपना पहचाना,
जगह भले हो, वो जन्नत भली नहीं लगती।

तुम्हारे प्यार से मिलती थी मुझको राहत जो,
शिशिर की धूप सी वो गुनगुनी नहीं लगती।

किया था प्यार जिसे, जैसे हीर का प्रेमी,
रचा के शादी वही, प्रेयसी नहीं लगती।

……✍️ प्रेमी

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