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7 Apr 2022 · 1 min read

जवान बचपन

समय से पहले
हो गया है वो जवान
बचपन उसने
जीया ही नहीं कभी
आ गया उसपर
जिम्मेदारियों का पहाड़
देखता होगा जब
दूसरे बच्चों को खेलते
उसका भी मन
करता होगा खेलने को
लगे जो नए झूले
उन झूलों पर झूलने को
वो तो काट रहा
अभी लकड़ी रात के लिए
सामने ही बच्चे
खेल रहे मस्ती के लिए
है उसके नसीब में
बचपन की रेखाएं नहीं
आ जो गई उसपर
घर की जिम्मेदारियां नई।।

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