√√ तो कुछ बात बने (गीतिका)
तो कुछ बात बने (गीतिका)
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( 1 )
घर-घर मिल सब दीप जलाओ तो कुछ बात बने
मन से मन का मेल मिलाओ तो कुछ बात बने
( 2 )
ऐसा भीतर जले दीप उजियारा छा जाए
सबको अपना मित्र बताओ तो कुछ बात बने
( 3 )
मिट्टी का दीपक जलना केवल एक बहाना
नेह देह में भर-भर लाओ तो कुछ बात बने
( 4 )
नहीं भूलना संबंधी जिसके घर अँधियारा
दिया एक उसको पहुँचाओ तो कुछ बात बने
( 5 )
अपने घर में दीप जलाना सही बात है पर
रोशन सारा जग कर पाओ तो कुछ बात बने
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 545 1