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3 Apr 2022 · 1 min read

जुल्म की इंतहा

इंतहा हो जाती है जुल्म की ,
तभी बद्दुआ निकलती है ।
वरना हम ऐसे इंसा नहीं ,
जो किसी के लिए आह भी भरें ।

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