*उसे ईनाम देता हूँ (गीतिका)*
उसे ईनाम देता हूँ (गीतिका)
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(1)
मेरी गलती बताए जो , उसे ईनाम देता हूँ
मैं हर ठोकर को सीढ़ी का सुनहरा नाम देता हूँ
(2)
मुझे मालूम है सब में कोई गुण खास होता है
उसी के मैं मुताबिक उसको कोई काम देता हूँ
(3)
भले मानुष का तन हो या मशीनों का कोई पुर्जा
निरंतर काम के फिर बाद में आराम देता हूँ
(4)
प्रशंसा भी जरूरी है पता है मुझको इस कारण
सही हर काम को शाबासियाँ परिणाम देता हूँ
(5)
सभी की देह में जो खून है वह एक जैसा है
सभी में एक आत्मा है , यही पैगाम देता हूँ
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451