Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Apr 2022 · 1 min read

मां (कविता 2)

मां संवेदना है, भावना है, एहसास है
मां जीवन की खुशियों में फूलों का वास है
मां रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पालना है
मां रेगिस्तान में नदी और मीठा सा झरना है

मां लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है
मां पूजा की थाली में मंत्रों का जाप है
मां आंखों से सिसकता हुआ किनारा है
मां गालों की पप्पी और ममता की धारा है

मां झुलसते दिलों में कोयल की बोली है
मां मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है
कलम है, दवात है, स्याही है
मां परमात्मा की स्वयं एक गवाही है

मां त्याग है, तपस्या है, सेवा है
मां फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है
मां अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है
मां जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है

मां चूड़ी वाले हाथों वाले उस मजबूत कंधों का नाम है
मां काशी विश्वनाथ और चारों धाम है
मां पृथ्वी है, जगत है, धूरी है
मां के बिना संसार की कल्पना अधूरी है

अभिषेक पाण्डेय (Abhi)
☎️7071745415

Loading...