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23 Mar 2022 · 1 min read

फ़ासला

ये कैसे फ़ासले हैं क्यूं हैं ये दूरियां,
क्या है बता तेरी ऐसी मजबूरियां?
यूं न सताओ,जरा पास तो आओ,
फ़ासला रहे न हमदोनों के दरमियाँ।।

रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597

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