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9 Oct 2021 · 1 min read

काका होउ होउ करैत रहे।

होउ!होउ!होउ!
आवाज स नींद खुल गेल रहे।
घड़ी राति के एगारह बजैबत रहे।
दूरा पर से आवाज अबैत रहे।
लोगन के भीड़ लागल रहे।
छोटका काका भक्तैय करैत रहे।
काका होउ होउ करैत रहे।
गोचरिया करताल बजाबैत रहे।
गोचरिया भजन गाबैत रहे।
दशै के सप्तमी रात रहे।
काका होउ होउ करै लागल।
ठूमैक ठूमैक के हंसे लागल।
देह पर चमर देवी आयल।
लोग सभ कहे लागल।
गोचरिया करताल बजाबे लागल।
गोचरिया भजन गावे लागल।
काका होउ होउ करै लागल।
कुहुक कुहुक के रोबे लागल।
देह पर काका आयल।
लोग सभ कहे भक्ता के काका आयल।
गोचरिया करताल बजाबे लागल।
गोचरिया भजन गावे लागल।
काका लम्बा जीभ निकाले लागल।
देह पर महरानी आयल।
लोग सभ कहे भगवती आयल।
गोचरिया करताल बजाबे लागल।
गोचरिया भजन गावे लागल।
काका होउ होउ करै लागल।
काका लम्बा जीभ निकाले लागल।
दूनू हाथ के धरती पर मारे लागल।
लोग सभ कहे भक्ता के माइ आयल।
गोचरिया करताल बजाबे लागल।
गोचरिया भजन गाबे लागल।
गरीब पूर्वज याद भक्तैय में करे लागल।
मिट्टी के पिंड में पूजा करे लागल।
धनी पूर्वज याद स्तुति में करे लागल।
मिट्टी पत्थर के मूर्ति में पूजा करे लागल।
काका होउ होउ करैत रहे।
गोचरिया करताल बजबैत रहै।
रामा गोचरिया भजन करैत रहे।
स्वरचित@सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

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