Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 Oct 2021 · 1 min read

प्रेम

अपने कोना छमकै छी
आउ हिअ मे
सोलह सिगार मे आउ
आउ एक दोसर मे समा जाउ

आउ स्वप्न मे
नीरस जिनगी मे रंग भरू
आमोद करू तन मन आओर धन
आउ गृह मे आउ
मेटा दु अन्हरिया सारा
आउ मिलिकऽ जानकी जनम पर्व मनाउ
आउ अपने हे विश्व सुनरी आउ

दुख मे
सुख मे
संग रहू सदिखन
पथ मे कमल पुष्पक बिछाउ
आउ हे प्रितम
जीबए के नव उमंग जगाउ

मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य

Loading...