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3 Jul 2021 · 1 min read

सैनिक

आतंकी हमला कबो, कबो नक्सली घात |
दिल्ली में बइठल रही, अउर बनाईं बात ||१||

माई अपना पूत के, देत रहे आशीष |
रक्षा करिह देश के, कटे भले ही शीश ||२||

सरहद पर रहलें खड़ा, सब दिन बनके ढाल |
लिपट तिरंगा में गइल, भारत मां के लाल ||३||

नक्सल के आतंक में, भइल पूत आहूत |
धन्य कोख ऊ धन्य बा, जनलस वीर सपूत ||४||

गोली सीना बेध के, लीहलस छनहि जान |
मृत्यु वरण के बाद भी, मुहवाँ पर मुस्कान ||५||

पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार

Language: Bhojpuri
1 Like · 2 Comments · 330 Views
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
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