तीन दोहे
तीन दोहे
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भाग्य हमेशा रच रहा, जीवन के नव मोड़
बूढ़ापन बाकी रहा , गुणा – भाग का जोड़
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किसे पता ले जाएगा,कब जीवन किस ओर
बचपन यौवन ले गया , जैसे कोई चोर
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राजमहल मिलता कभी , झोपड़ियों में वास
उठापटक कब क्या चले,क्या किसको आभास
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रचयिता :रवि प्रकाश ,रामपुर