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20 Feb 2022 · 1 min read

इंतजार

माना गुजारे साथ सुखद पल
जिये कि जन्नत नशीन हो गये
कशिश एक दूजे मे खो जाना
वजहें ही कराती तेरा इंतजार

खुशनुमा माहौल वस्ल की रात
तेरा मुस्कुराना अदाओं मे बात
खुद को हार बैठा तुम भी हारीं
अब तन्हाई है औ तेरा इंतजार

क्यों ? चले गये कहते तो कुछ
खतावार नही था मैं न थी तुम
लौट आओगी ये भी नही कहा
फिर भी कर रहा तेरा इंतजार

क्या याद तुम्हे नही आती
क्या बेचैनी तुम्हे नही सताती
मिलन की आश हो दोनो मे
तभी भाता है करना इंतजार

बहुत किया अब और नही
मुझसे न होगा तेरा इंतजार

स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल

‘साहित्य बोध’ दिल्ली द्वारा आयोजित प्रतियोगिता मे पुरस्कृत

प्रकाशित ‘अभ्युदय’

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 299 Views
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