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17 Feb 2022 · 1 min read

चरित्र

चरित्र

दिन और रात के
चरित्र में कितना
अंतर होता है..
दिन में दोस्त सभी
रात में तन्हा होता है।

उजली उजली बातें
अपनी रहने दो
कड़वी कड़वी बातें
उनको कहने दो
दीप शिखा से सब
जल रहे/ तुम भी जलो
देखो
अंधियारे का इतिहास
नहीं होता।।

कुछ पल को ही तुमने
जीवन मान लिया
अपलक अपलक करते
बिस्तर ठान लिया
गवाह है तकिया,कैसी
रात कटी होगी
भीगी भीगी सेज सपन की
सबने ही सही होगी।।

सूर्यकांत द्विवेदी

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