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17 Feb 2022 · 1 min read

कटखना कुत्ता( बाल कविता)

कटखना कुत्ता( बाल कविता)
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एक कटखने कुत्ते ने जब
छह को जमकर काटा,
एक अहिंसावादी ने तब
ज्ञान आ निजी बाँटा ।।

बोला” इससे शांति वार्ता
सब चलकर करते हैं,
पूछें क्यों नाराज आजकल
क्यों हमसे लड़ते हैं ?”

जनता बोली” शांति वार्ता
जनता नहीं सहेगी,
कुत्ते की दुम टेढ़ी है
टेढ़ी ही सदा रहेगी।।

जंजीरों में जकड़ो इसको
या बन्दूक चलाओ,
यह लातों का भूत
बात से इसको नहीं मनाओ।।
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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