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15 Feb 2022 · 1 min read

ललकार

अवाम की नींद हराम करके
ये हाकिम कैसे सो सकते हैं?
हल्ला बोल!
गुलामी तो एक लानत ठहरी
इसे हम कितना ढ़ो सकते हैं?
मुंह खोल!
क़ौमी यक-जेहती की राह में
वे कांटे कब तक बो सकते हैं?
साथ डोल!
वतन को नीलाम करने वाले
वतन-परस्त कैसे हो सकते हैं?
उन्हें तोल!
Shekhar Chandra Mitra
#अवामीशायरी #बहुजनशायर
#इंकलाबीशायरी #चुनावीकविता

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